कुछ अपना मन है कुछ मौसम रंगीन है
कुछ अपना मन है कुछ मौसम रंगीन है ,तारीफ करू या चुप रहूं जुर्म दोनो ही संगीन हैं!
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तेरी तारीफ मेरी शायरी में जब हो जाएगी ,चाँद की भी कदर कम हो जाएगी!
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