Gulab Shayari

कितना सुकून हैं तेरी ज़ुल्फ़ों की छाव में

कितना सुकून हैं तेरी ज़ुल्फ़ों की छाव में 🌺,हैं शामे अवध तेरे परदे की अदाओं में 🌷🌺,लिए हाथों में गुलाब चली आओ ज़िंदगी में 🌷❤️,बजने लगेगी शहनाइयाँ इन बेरंग फिज़ाओं में! ❤️😊

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जब कभी वो रातों को करवट बदलती हैं

जब कभी वो रातों को करवट बदलती हैं 😊,मौसम रक्स करता हैं बहारें मचलती हैं 🌺,जब से देखा तुझे मुंह मोड़ लिया गुलाबों से 🌷😊,तेरे हुस्न से ये हूरें भी जलती हैं! ❤️

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