कितना सुकून हैं तेरी ज़ुल्फ़ों की छाव में
कितना सुकून हैं तेरी ज़ुल्फ़ों की छाव में 🌺,हैं शामे अवध तेरे परदे की अदाओं में 🌷🌺,लिए हाथों में गुलाब चली आओ ज़िंदगी में 🌷❤️,बजने लगेगी शहनाइयाँ इन बेरंग फिज़ाओं में! ❤️😊
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