नज़रे करम मुझ पर इतना न कर ,
की तेरी आशिकी के लिए बागी हो जाऊं ,
मुझे इतना न पिला इश्क़-ए-जाम की ,
मैं इश्क़ के जहर का आदि हो जाऊं!
नज़रे करम मुझ पर इतना न कर ,
की तेरी आशिकी के लिए बागी हो जाऊं ,
मुझे इतना न पिला इश्क़-ए-जाम की ,
मैं इश्क़ के जहर का आदि हो जाऊं!